काठ बंगला बस्ती के अवैध निर्माणों पर चला बुल्डोजर

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बता दें कि देहरादून में रिस्पना नदी किनारे रिवर फ्रंट योजना की तैयारी है। इसके तहत अवैध भवन चिह्नित किए गए हैं। ये भवन नगर निगम की जमीन के साथ ही मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की जमीन पर हैं। देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे वर्ष 2016 के बाद 27 मलिन बस्तियों में बने 504 भवनों को नगर निगम, एमडीडीए और मसूरी नगर पालिका ने नोटिस जारी किए थे। इसके बाद नगर निगम ने बीती 27 मई से मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की थी।

आज एमडीडीए की कार्यवाही से पूर्व बड़ी संख्या में राजपुर क्षेत्र की इस आवासीय बस्ती के लोग विरोध करते नजर आए। प्रदर्शनकारियों ने काठ बंगला पुल पर धरना देते हुए जाम भी लगाया। इस दौरान रोते-बिलखते प्रदर्शनकारी सरकार पर नाइंसाफी का आरोप लगाते हुए कहते दिखायी दिये कि उन्होंने पैसे देकर जमीन खरीदी है, लेकिन प्रशासन की ओर से भारी संख्या में भेजे गए पुलिस बल ने प्रदर्शन कर रहे प्रभावित परिवारों की एक न सुनी और उनको वहां से हटा दिया।

राजपुर क्षेत्र के काठ बंगला बस्ती में भारी पुलिस बंदोबस्त के बीच काठ बंगला व गब्बर सिंह बस्ती समेत आस-पास के 250 से अधिक चिन्हित अवैघ निर्माण के साथ तैयार भवनों के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही एमडीडीए ने शुरू की। बता दे कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने देहरादून प्रशासन को रिस्पना नदी में वर्ष 2016 के बाद हुए अवैघ निर्माण को चिन्हित कर उन्हें ध्वस्त किए जाने के आदेश दिए थे। इस आदेश का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि एनजीटी द्वारा आदेशित प्रक्रिया को एमडीडीए, नगर निगम देहरादून तथा मसूरी नगर पालिका द्वारा पूर्ण किया जाना है। इसके साथ ही 30 जून तक उक्त निकायों की ओर से एनजीटी को एक्शन टेकन रिपोर्ट भी सौंपी जानी है। इस मामले में नगर निगम प्रशासन पूर्व में ही अपने कार्य को अंजाम दे चुका है, जबकि एमडीडीए आज से कार्यवाही शुरू कर चुका है।

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