भाग्यश्री जाधव बोलीं-मैं पैरालिंपिक पदक के बिना अधूरी हूं, उम्मीद है कि लॉस एंजिल्स में किस्मत साथ देगी 

भाग्यश्री-जाधव
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नई दिल्ली:  राष्ट्रीय राजधानी में चल रहे खेलो इंडिया पैरा गेम्स में गोला और भाला फेंक स्पर्धा में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली भाग्यश्री जाधव का कहना है कि ‘पैरालंपिक पद के बिना मैं अधूरी हूं। टोक्यो 2020 और पेरिस 2024 खेलों में पदक से चूकने के बाद भाग्यश्री को उम्मीद है कि जब वह लॉस एंजिल्स (एलए) 2028 में प्रतिस्पर्धा में भाग लेंगगी तो किस्मत उनका साथ देगी।

महाराष्ट्र की 37 वर्षीय भाग्यश्री को प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम से लगाव हो गया है, जो दूसरे खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2025 में ट्रैक और फील्ड स्पर्धाओं का स्थल है। व्हीलचेयर पर चलने वाली भाग्यश्री ने खेलो इंडिया पैरा गेम्स में गोला और भाला फेंक प्रतिस्पर्धा में दो स्वर्ण पदक जीते। इससे यह पता चलता है कि वह शानदार फॉर्म में हैं। एफ 33-34 श्रेणी (निचले अंगों में दिव्यांगता) में भाग लेते हुए, भाग्यश्री ने पिछले डेढ़ साल में तीन स्पर्धाओं में छह स्वर्ण पदक जीते हैं। भाग्यश्री ने रविवार को गोला फेंक स्पर्धा में 7.30 मीटर के थ्रो के साथ पहला स्थान हासिल किया। इससे पहले उन्होंने भाला फेंक प्रतियोगिता में 13.57 मीटर के थ्रो के साथ पहला स्थान हासिल किया।

भाग्यश्री ने भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) मीडिया से बातचीत में कहा, “यह एक प्रतिष्ठित स्थल है। मुझे यहां अपना सर्वश्रेष्ठ देने का मन करता है। यह स्टेडियम भारतीय एथलेटिक्स के इतिहास का गवाह है। खेलो इंडिया पैरा गेम्स के पहले संस्करण के दौरान यहां कदम रखते ही मुझे एक अलग तरह का अनुभव हुआ। यह पैरा एथलीटों के लिए भी काफी सुविधाजनक है। यहां हम बिना किसी चिंता के अपने प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।उन्होंने कहा, “मेरा अगला लक्ष्य पैरालिंपिक है। इसमें हालांकि अभी लगभग तीन साल बाकी हैं, लेकिन मैं तीसरी बार भाग लेना चाहती हूं और देश के लिए पदक जीतना चाहती हूं। टोक्यो 2020 में मैं गोला फेंक में सातवें स्थान पर रही थी और पेरिस 2024 में मैं पांचवें स्थान पर रही थी, लेकिन इस बार मेरा लक्ष्य देश के लिए पदक लाना है।”

महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के छोटे से गांव होनवादज से ताल्लुक रखने वाली भाग्यश्री एक संयुक्त परिवार में रहती हैं, जहां उनकी सफलता से पहले पैरा खेलों के बारे में कोई नहीं जानता था। यह समर्थन तब बहुत महत्वपूर्ण था जब 2006 में हुई दुर्घटना के कारण वह कोमा में चली गई और लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रही – एक ऐसी घटना जिसे वह याद नहीं करना चाहती। उन्होंने कहा, “ मेरी सफलता के पीछे मेरा परिवार है। दुर्घटना के कारण, मैं लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रही। मैं जीवन और मृत्यु के बीच थी। मैं न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के कारण कोमा में थी, और मेरे पैर ठीक से काम नहीं कर रहे थे। इस अचानक दुर्घटना के बाद, मेरा परिवार पूरी तरह से मेरे साथ खड़ा था। यह एक ऐसी घटना है जिसे मैं याद नहीं करना चाहती क्योंकि यह दर्दनाक है। लेकिन मैं उस दुर्घटना से बहुत आगे निकल चुकी हूँ। अब, मैं केवल अपने परिवार, राज्य और देश के लिए गौरव लाना चाहती हूँ।”

पैरा स्पोर्ट्स में अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए भाग्यश्री ने अपने भाई पत्रकार प्रकाश जाधव कांबले को इसका श्रेय देते हुए कहा, “मेरे भाई को सलाह दी गई थी कि उनकी बहन दिव्यांगों के लिए खेलों में अच्छा कर सकती है। इसलिए, मैंने इस खेल में प्रवेश किया। मैं 2017 से पैरा स्पोर्ट्स में सक्रिय हूँ। मैंने शॉट पुट और भाला फेंक से शुरुआत की। मेरा पहला इवेंट 2017 में पुणे में मेयर कप था, जहां मैंने एक स्वर्ण और एक कांस्य जीता।”
उन्होंने कहा, “वर्ष 2019 में, मैंने चीन में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में दो कांस्य पदक जीते। इसके बाद, मैंने 2022 एशियाई पैरा खेलों में रजत पदक जीता। मैं टोक्यो पैरालिंपिक में भारतीय टीम का हिस्सा थी, जहाँ मैंने फाइनल में प्रवेश किया और सातवें स्थान पर रही। 2021 में, मैंने दुबई विश्व कप में कांस्य पदक जीता। मैंने हर जगह खुद को साबित किया है, लेकिन पैरालिंपिक पदक के बिना यह अधूरा लगता है।”

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