बिहार में आज अमित शाह का दौरा, मुख्यमंत्री नीतीश और तेजस्वी यादव भी करेंगे रैली संबोधित
पटना: बिहार में जारी राजनीतिक उठा-पटक के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज दो स्थानों पर भारतीय जनता पार्टी के समर्थकों को संबोधित करेंगे जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव महागठबंधन की रैली को संबोधित करेंगे।
भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार शाह के बिहार दौरे की शुरुआत वाल्मीकि नगर लोकसभा क्षेत्र से होगी जहां उनका कार्यक्रम एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करने का है।
इस क्षेत्र को भाजपा का गढ़ माना जाता है हालांकि, 2019 में हुये आम चुनाव में यह सीट गठबंधन सहयोगी जदयू के खाते में चली गई थी। शाह का कार्यक्रम दोपहर में शुरू होगा। उसी दिन शाह के रैली स्थल से 400 किलोमीटर से कुछ अधिक दूर पूर्णिया में महागठबंधन की रैली है, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव हिस्सा लेंगे। इसमें महगठबंधन के कांग्रेस और वाम दल जैसे सहयोगी भी शामिल होंगे।
प्रदेश के पश्चिम चंपारण में होने वाली रैली को संबोधित करने के बाद शाह कुछ घंटे के लिये प्रदेश की राजधानी पटना में रूकेंगे ।
पटना में वह किसान मजदूर समागम को संबोधित करेंगे । इसका आयोजन किसान नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी स्वामी सहजानंद सरस्वती के जन्मदिवस के मौके पर किया जा रहा है । बिहार में गृह मंत्री का शाम को तख्त हरमंदिर पटना साहिब जाने और वहां अरदास करने का भी कार्यक्रम है।
विश्व प्रसिद्ध गुरुद्वारा उस स्थान पर स्थित है जहां गुरू गोबिंद सिंह का जन्म हुआ था और जहां उनका बचपन बीता है । भारतीय जनता पार्टी के अन्य पिछड़ा वर्ग मोर्चा के महासचिव और पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा, ‘‘भाजपा संगठनात्मक शक्ति और वैचारिक प्रतिबद्धता के दो स्तंभों पर खड़ी है और केंद्रीय गृह मंत्री की बिहार यात्रा उसी की पुष्टि है।
’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘दूसरी ओर, महागठबंधन ने मुस्लिम तुष्टिकरण का कार्ड खेलने के लिए सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील सीमांचल इलाके को चुना है।
महागठबंधन में शामिल उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने भाजपा पर निशाना साधा। तिवारी ने आरोप लगाया, ‘‘पूर्णिया रैली में भाजपा को सत्ता बाहर करने की लड़ाई के लिये बिगुल बजेगा।
अमित शाह के दौरे से कुछ खास असर नहीं पड़ेगा । गृह मंत्री के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास करने की संभावना है जो 2024 के चुनावों में भाजपा के लिए एकमात्र उम्मीद है।