पितृ विसर्जन कल, पितरों को तर्पण देकर होगी विदाई
माउंटेन वैली टुडे वेबडेस्क: ‘पितरो यस्य संतुष्टा:, संतुष्टा: सर्वदेवता: अर्थात पितरों की संतुष्टि से ही देवताओं की संतुष्टि होती है। पितृपक्ष में 15 दिनों तक पितरों को जल, श्राद्ध और तर्पण देकर संतुष्ट किया जाता है। जिस पितर के मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती उन पितरों को अश्वनी मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या जिसे पितृ विसर्जन के नाम से जाना जाता है के दिन तर्पण और श्राद्ध देकर उनको विदा किया जाता है।
इस बार पितृ पक्ष का विसर्जन 25 सितम्बर दिन रविवार को है। पंडित जोखन पांडेय ने बताया कि अमावस्या 24/25 सितम्बर की रात 2.54 बजे से 25/26 सितम्बर की रात 3.23 बजे तक है। इस तिथि को जिस व्यक्ति के मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती है उनके परिजन को तर्पण, श्राद्ध करते हैं। पितृपक्ष में 15 दिन तक तर्पण करने वाले लोग भी पितरों के निमित्त इस दिन ब्राह्मण भोज कराकर दान-पुण्य आदि करते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय के अनुसार इस दिन पितृ दोष शांति के लिए त्रिपिण्डी श्राद्ध करने के साथ गीता का पाठ, रुद्राष्ट्राध्यायी के पुरुष सूक्त, ब्रह्मसूक्त आदि का पाठ करना चाहिए। पीपल के वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु का पूजन कर गाय का दूध चढ़ावें। पितृ श्राप से मुक्ति के लिए उस दिन पीपल का पौधा भी लगाने का प्रावधान है। पितृ विसर्जन के दिन पितृ लोक से आए हुए पितरों की विदाई होती है।