हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने पर लगी रोक

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सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा, पुनर्वास का क्या है प्लान?

हाई कोर्ट ने दिए थे अतिक्रमण हटाने के आदेश
अगली सुनवाई 11 सितंबर को, सरकार से मांगा जवाब
देहरादून/ नई दिल्ली: देश के सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को हल्द्वानी स्टेशन और रेलवे ट्रैक के आस-पास अवैध रूप से बसे लोगों की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अदालत निर्दयी नहीं हो सकती है, जो लोगों को बेघर कर दे।

उल्लेखनीय है कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन और ट्रैक के आसकृपास हजारों की संख्या में अवैध रूप से बसे लोगों को हटाने के मामले में हाईकोर्ट द्वारा प्रशासन और रेलवे को अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए गए थे, जिसके खिलाफ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि दशकों से इस जगह पर बसे लोगों ने अपने जीवन की सारी कमाई लगाई हुई है अगर उन्हें बेघर कर दिया जाता है तो वह कहां जाएगें। अगर सरकार या रेलवे उन्हें हटाना चाहती है तो उनके पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए।

जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने आज हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा रेलवे व सरकार के अधिवक्ता से पूछा गया है कि सरकार द्वारा इन लोगों के पुनर्वास की क्या कुछ व्यवस्था की गई है अगर नहीं की गई है तो सरकार के पास उनके पुनर्वास की क्या योजना तैयार की जा रही है। इसका कोई समुचित जवाब न दिए जाने पर अदालत ने कहा कि अदालत निर्दयी नहीं हो सकती है अदालत ने अतिक्रमण हटाने के आदेश पर तत्काल रोक लगाते हुए कहा है कि वह चार सप्ताह के अंतराल में अदालत को यह बताएं कि जिन लोगों को हटाया जा रहा है उनके पुनर्वास का क्या प्लान है? इस मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि रेलवे को यहां स्टेशन के विस्तारीकरण और वंदे भारत ट्रेन के संचालन के लिए इस जमीन की जरूरत है। लेकिन इस ट्रैक के आस-पास बड़ी संख्या में लोग रह रहे हैं।

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