ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट: में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में हुए 40 हजार करोड़ से अधिक के एमओयू

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देहरादून: डेस्टिनेशन उत्तराखण्ड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के तहत मंगलवार को सचिवालय में आयोजित उत्तराखण्ड एनर्जी कॉन्क्लेव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थित में 40 हजार 4सौ 23 करोड़ के एमओयू हस्ताक्षरित किये गये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य करने के लिए अपार संभावनाएं हैं। उत्तराखण्ड राज्य की अवधारणा में ऊर्जा सेक्टर का महत्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने कहा कि राज्य में निवेश बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। औद्योगिक जगत से जुड़े लोगों के सुझावों के आधार पर 27 नई नीतियां बनाई गई हैं और अनेक नीतियों को सरल बनाया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 08 और 09 दिसम्बर 2023 को एफआरआई में डेस्टिनेशन उत्तराखण्ड, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जा रहा है। जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का राज्य को लगातार मार्गदर्शन मिल रहा है। उनके वाइब्रेंट गुजरात की प्रेरणा से ही प्रदेश में डेस्टिनेशन उत्तराखण्ड पर कार्य किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि आज कॉन्क्लेव में प्राप्त सभी सुझावों पर गंभीरता से अमल किया जाए। उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारियों और एसएसपी को भी निर्देश दिये गये हैं, कि औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े लोगों के साथ समय-समय पर बैठक की जाए और उनकी समस्याओं का उचित समाधान भी निकाला जाए। उन्होंने कहा कि राज्य में उद्योग स्थापित करने वाले लोगों के साथ राज्य सरकार सहयोगी के रूप में कार्य करेगी। उन्होंने कॉन्क्लेव में आये सभी लोगों को इन्वेस्टर्स समिट के लिए भी आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में कार्य करने की अनेक संभावनाएं हैं, सबको संभावनाओं का सदुपयोग करना है।

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि राज्य में ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य करने की काफी संभावनाएं हैं, इसके लिए तीनों निगमों को एकजुटता से कार्य करने हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में निवेश बढ़ने से स्थानीय लोगों के रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य में निवेश करने वालों के लिए हर संभव मदद मिल सके, इसके लिए नियमित समीक्षा बैठकें की जायेंगी।

सचिव ऊर्जा डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि उत्तराखण्ड को ऊर्जा आत्मनिर्भर राज्य बनाने की दिशा में निरन्तर प्रयास हो रहे हैं। जल विद्युत परियोजनाओं के माध्यम से निवेश एवं रोजगार को प्रोत्साहन दिये जाने के उद्देश्य से राज्य में जल विद्युत नीति लागू की गई है। उन्होंने कहा कि निवेश से संबंधित सभी क्षेत्रों में कार्य करने के लिए ऊर्जा का बहुत महत्व है। राज्य में नई सौर ऊर्जा नीति भी लागू की गई है।

अपर सचिव ऊर्जा रंजना राजगुरू ने कहा कि राज्य में हरित ऊर्जा के विकास एवं कार्बन उत्सर्जन में कमी लाये जाने के उद्देश्य से सौर ऊर्जा नीति बनाई गई है, जिसमें वर्ष 2027 तक 2500 मेगावाट सौर परियोजनाओं का लक्ष्य निर्धारित है। नीति में भूमि उपयोग परिवर्तन शुल्क में छूट, एम.एस.एम.ई नीतियों के लाभ, ऑफ पीक आवर्स के दौरान अतिरिक्त उत्पादन में डीम्ड परचेज का प्राविधान, हरित टैरिफ की शुरूआत और अन्य सुविधाएं दी गई हैं।

इस अवसर पर प्रबंध निदेशक यूजेवीएन लि. संदीप सिंघल, प्रबंध निदेशक यूपीसीएल अनिल कुमार, प्रबंध निदेशक पिटकुल पी.सी. ध्यानी एवं उर्जा क्षेत्र से जुड़े निवेशक थे।

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