निजी अस्पताल का कारनामा, वसूली के लिए तीन दिन तक शव का करते रहे इलाज
लखनऊ: बिजनौर थाना क्षेत्र के एक निजी अस्पताल में संवेदनहीनता का मामला सामने आया है। आरोप है कि धन उगाही के लिए अस्पताल प्रशासन बुजुर्ग की मौत होने के बाद भी उनको तीन दिनों तक वेंटिलेटर सपोर्ट पर रख कर इलाज करने का दावा करता रहा। इस दौरान परिजनों से करीब 60 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से वसूली की गई। अस्पताल प्रशासन के इस कारनामे की जानकारी होने पर परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। मौके पर पहुंची पुलिस ने आक्रोशित परिजनों को समझा बुझाकर शांत कराया। फिलहाल पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजने के साथ ही मामले की जांच शुरू कर दी है।
बंथरा के नीवा बरौली निवासी अखिलेश ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि बीते 23 अक्टूबर की शाम पिता कल्लू प्रसाद (65) के सीने में दर्द होने लगा। जिस पर परिजनों ने उन्हें बिजनौर चौराहे के पास माती रोड स्थित श्री राम पुष्पा एंक्राइट हॉस्पिटल में भर्ती कराया। अस्पताल द्वारा उसका इलाज शुरू करने के साथ ही इलाज में खर्च होने वाले पैसों के लिए उसका आयुष्मान कार्ड जमा करा लिया। आरोप है कि आयुष्मान कार्ड जमा होने के बावजूद परिजनों से सारी दवाइयां बाहर से मंगाई गईं। इस बीच, मरीज को इंजेक्शन लगाते ही उसकी हालत बिगड़ने लगी। स्थिति ज्यादा गंभीर देख अस्पताल द्वारा उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रख दिया गया।
बेटे का आरोप है कि पिता की बीते 30 अक्टूबर को ही मौत हो गई थी। इसके बावजूद अस्पताल द्वारा वेंटिलेटर पर रखकर मरीज को इलाज मुहैया कराने के नाम पर रुपये ऐंठे जाते रहे। परिजनों ने मरीज को देखने की कई बार गुहार लगाई, लेकिन उन्हें फटकार कर बाहर निकाल दिया गया। गुरुवार रात करीब 11 बजे परिजनों के हंगामा करने पर जैसे ही ऑक्सीजन सपोर्ट हटाया गया, तो मरीज के शरीर की हरकत थम गई। परिजनों का कहना है कि वेंटिलेटर सपोर्ट की वजह से मरीज का जिंदा होना प्रतीत हो रहा था, लेकिन उसकी मौत तीन दिनों के पहले ही हो चुकी थी।
बोले जिम्मेदार
शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। प्रारंभिक जांच में गुरुवार को ही मौत होना प्रतीत हो रहा है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से ही मौत की स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। – अरविंद कुमार राणा, इंस्पेक्टर बिजनौर
मामले में अभी कोई शिकायत नहीं मिली है। शिकायत मिलने पर जांच कराई जाएगी।
डॉ. एपी सिंह, डिप्टी सीएमओ