मिशन चंद्रयान-3 का हिस्सा बन कोटद्वार के अग्रवाल दंपति और रुड़की के रवीश कुमार ने बढ़ाया उत्तराखंड का मान

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देहरादूनः चंद्रयान-3 के सफल लेडिंग को लेकर देशभर में जबरदस्त उत्साह का माहौल है। सभी इसरो के वैज्ञानिकों के सहयोग और मेहनत को सैल्यूट कर रहे हैं। इसके साथ चंद्रयान-3 की टीम को भी बधाई दी जा रही है। इसमें देश के अलग अलग राज्यों के वैज्ञानिक शामिल रहे हैं। हर बार की तरह इस बार भी उत्तराखंड ने ऐतिहासिक काम में अपना योगदान दिया है।

उत्तराखंड से अग्रवाल दंपति भी चंद्रयान-3 मिशन में शामिल रहे। जो कि मूल रूप कोटद्वार दुगड्डा के रहने वाले हैें। दीपक अग्रवाल और उनकी पत्नी पायल अग्रवाल चंद्रयान-3 की टीम का हिस्सा रही हैं। पायल विक्रम लैंडर के चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के दौरान इसरो के दफ्तर पर ही मौजूद थीं।

इसरो में काम करने वाले अग्रवाल दंपति चंद्रयान मिशन-3 के प्रक्षेपण से लेकर लैंडिंग तक के अभियान में शामिल रहे हैं। इससे पहले वे मंगल मिशन, चंद्रयान-1, जीएसएलवी उड़ान के लिए क्रायोजेनिक इंजन के विकास और जीएसएलवी एमके-3 मिशन में भी योगदान दे चुके हैं। इसरो वैज्ञानिक दीपक अग्रवाल का जन्म दुगड्डा के मोती बाजार में हुआ था। उन्होंने सरस्वती शिशु मंदिर में प्राथमिक शिक्षा, जीआईसी दुगड्डा से इंटर की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने पंतनगर विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बीटेक और कानपुर से एमटेक की डिग्री हासिल की। वर्तमान में वह इसरो के चंद्रयान मिशन-3 की टीम में शामिल हैं। दंपति ने 2006 में इसरो ज्वाइन किया था।

चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा बनकर वैज्ञानिक रवीश कुमार ने शिक्षा नगरी का मान बढ़ाया है। रुड़की के मालवीय चौक निवासी रवीश कुमार इसरो के वैज्ञानिक हैं, जिस मिशन पर 140 करोड़ भारतीयों सहित पूरे विश्व की नजर है, उससे रवीश भी जुड़े हुए हैं। शहरवासी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

उन्होंने दसवीं की पढ़ाई मुजफ्फरनगर के समीप अमृत इंटर कॉलेज से की थी। दसवीं में उन्होंने स्कूल टॉप किया था। इसके बाद डीएवी इंटर कॉलेज रुड़की से प्रथम श्रेणी में इंटर पास किया। फिर शहर के एक निजी कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग ब्रांच में बीटेक किया। इसके बाद गेट क्वालीफाई कर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की में एमटेक में दाखिला लिया।

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