अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण स्थापित करने की योजना पर काम कर रही यूपी सरकार
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार संपर्क और मालढुलाई सुविधा बढ़ाने के इरादे से आठ नदियों को अंतर्देशीय जलमार्ग के तौर पर इस्तेमाल करने और इसके लिए एक अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण स्थापित करने की योजना पर काम कर रही है। राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने पुष्टि की कि यमुना, गोमती, अस्सी, घाघरा, राप्ती, बेतवा, चंबल और वरुणा सहित आठ नदियों को माल ढुलाई और परिवहन के लिए जलमार्ग के तौर पर इस्तेमाल करने की योजना है।
योजना के अनुसार जलमार्ग प्राधिकरण में परिवहन, सिंचाई और पर्यटन विभागों के अधिकारी शामिल होंगे। संभावित जलमार्गों के सर्वेक्षण का काम परिवहन विभाग के अधिकारियों को सौंपा गया है। यह कदम ‘मैरीटाइम इंडिया विजन’ (एमआईवी)-2030 का हिस्सा है, जिसमें 2030 तक अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्ल्यूटी) की हिस्सेदारी को पांच प्रतिशत तक बढ़ाने की परिकल्पना की गई है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार के इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य पर काम पहले ही शुरू हो चुका है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार का लक्ष्य इस योजना को बढ़ावा देना है। राज्य के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने शनिवार को बताया, ‘‘ उत्तर प्रदेश को प्रकृति ने बहुत सारी नदियों का उपहार दिया है। अतीत में इन नदियों की क्षमता की उपेक्षा की गई, लेकिन हम नदियों को जनता के लिए और अधिक उपयोगी बनाने का प्रयास कर रहे हैं। जलमार्ग विकसित करने की योजना इसी दिशा में एक कदम है।”
भारत सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार, अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्लूटी) परिवहन का सबसे किफायती साधन है। विशेष रूप से कोयला, लौह अयस्क, सीमेंट, खाद्यान्न और उर्वरक जैसे थोक सामानों की ढुलाई के लिए। सिंह ने कहा, ‘‘हम उत्तर प्रदेश में जलमार्गों को मजबूत करने और विस्तार करने के लक्ष्य को साकार करने के इरादे से आगे बढ़ रहे हैं।”
केंद्र सरकार का इरादा मैरीटाइम इंडिया विजन-2030 के अनुरूप जल परिवहन की हिस्सेदारी को पांच प्रतिशत तक बढ़ाने का है। हाल में गंगा विलास लक्जरी पोत ने भारत और बांग्लादेश में 27 नदियों के जरिए 3200 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की और इसने सार्वजनिक परिवहन के लिए जलमार्गों के उपयोग की योजना को एक प्रकार से बल दिया। सिंह ने कहा, “अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के गठन के बाद काम में तेजी आएगी। आने वाले महीनों में राज्य मंत्रिमंडल से इसे मंजूरी दिलाने की दिशा में भी काम चल रहा है।”