नैनी झील के पानी की गुणवत्ता बेहद हानिकारक, नहीं रहा पीने योग्य

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नैनीताल: विश्व विख्यात नैनी झील का स्वास्थ्य बीते कई सालों से तेजी से गिर रहा है। नैनी झील की भूगर्भीय संरचना पर बीते 3 सालों से अध्ययन कर रहे आईआईटी रुड़की के आंकड़े नैनीताल वासियों समेत यहां आने वाले पर्यटकों के लिए बेहद चौंकाने वाले हैं।

आईआईटी रुड़की के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. सुमित सैन ने बताया नैनी झील के भीतर ऑक्सीजन की मात्रा लगातार तेजी से घट रही है। प्री मानसून के दौरान ऑक्सीजन लेवल शून्य (0) से नीचे जा रहा है जो नैनी झील की भूगर्भीय संरचना, झील के भीतर के जीवों, पानी की गुणवत्ता के लिए बेहद हानिकारक है।

अगर जल्द से जल्द झील के भीतर ऑक्सीजन की मात्रा में सुधार नहीं आया तो पानी पीने योग्य नहीं रहेगा। प्रोफेसर सुमित बताते हैं कि पीने के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा 6 एमजी प्रति लीटर होना चाहिए जबकि नैनी झील के भीतर ऑक्सीजन की मात्रा शून्य है। जो नैनी झील के लिए एक बड़े खतरे का संकेत है।

करोड़ों की लागत से बने एरिएशन प्लांट भी हुए फेल 
नैनी झील पर लंबे समय से अध्ययन कर रही सेंट्रल फॉर इकोलॉजी डेवलपमेंट एंड रिसर्च सेंटर ( सिडार) की डॉ. अनवरा पांडे बताती हैं कि करोड़ों की लागत से नैनी झील में चल रहा एरिएशन प्लांट भी अब ऑक्सीजन की पूर्ति नहीं कर पा रहा है। इससे नैनी झील का पानी लगातार दूषित होता जा रहा है। हालांकि एरिशन के चलते झील के पानी का तापमान तलहटी और पानी के ऊपर बराबर है।

झील की सुंदरता और भूगर्भीय संरचना में कई वर्षों से तेजी से बिगड़ रही है। वर्ष 2002 में देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई ने नैनी झील की बिगड़ती हालत को देख कर झील के संरक्षण और संवर्धन के लिए 200 करोड़ रुपये का बजट जारी किया था।

इसके बाद नैनी झील के संरक्षण के लिए एरिएशन प्लांट शुरू कराया गया। जिसमें नैनीझील के भीतर आक्सीजन देने का काम करा जा रहा है ताकि नैनी झील की सुंदरता और अस्तित्व को कायम रखा जा सके। आईआईटी रुड़की द्वारा किए जा रहे अध्ययन के आंकड़े सभी के लिए बेहद चौंकाने वाले हैं।

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