मुजफ्फरनगर के गैंग ने डाला था स्कूल संचालक के घर डाका
देहरादून: नेहरू कॉलोनी में बीती 11 अप्रैल को स्कूल संचालक संदीप अग्रवाल पुत्र विनोद अग्रवाल के घर दिनदहाड़े हुई लाखों रुपये की डकैती की घटना का पुलिस ने 48 घंटे में खुलासा कर दिया। घटना को अंजाम देने वाले मुजफ्फरनगर के गैंग के पांच शातिर बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लूटे गए सोने के जेवरात बरामद कर लिए हैं।
डीआईजी/एसएसपी डीएस कुंवर के अनुसार, घटना के खुलासे के लिए एसपी क्राइम सर्वेश पंवार और एसपी सिटी सरिता डोभाल के नेतृत्व में 8 टीमें गठित की गयी थी। संदीप के घर के पास लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में देखा गया कि एक स्कूटी व बाइक से चार बदमाश संदीप के घर पहुंचे थे जबकि उनका पांचवां साथी बाहर निगरानी के लिए मौजूद रहा।
महज 10 मिनट में घटना कर बदमाश दुपहिया वाहनों से फरार हो गए थे। दोनों वाहनों की नंबर प्लेटों पर काली टेप लगी थी, जिससे उन्हें ट्रेस करना काफी मुश्किल था। पुलिस टीमों ने देहरादून, हरिद्वार तथा मुजफ्फरनगर के करीब 450 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली।
फुटेजों से मिले संदिग्ध व्यक्तियों के फोटोग्राफ के आधार पर पुलिस टीमों ने हरिद्वार, बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, दिल्ली तक जानकारी की तो घटना में मुजफ्फरनगर के ग्राम पचेन्डाकला के बदमाशों के शामिल होने के साक्ष्य मिले, जिसके बाद सीओ सदर पकंज गैराला, एसओ नेहरू कॉलोनी लोकेन्द्र बहुगुणा व एसओजी प्रभारी मुकेश त्यागी की टीम ने मुजफ्फरनगर से अभियुक्त विपिन पुत्र कृष्णपाल, विकास पुत्र रणजीत, सचिन पुत्र रामगोपाल, अंकित पुत्र अशोक, सभी निवासी पचेन्डाकला थाना नई मंडी, मुजफ्फरनगर और विकास जायसवाल पुत्र विक्रम सिंह मूल निवासी अमर कॉलोनी ईस्ट गोकुलपुर दिल्ली को ऋषिकेश से दबोच लिया। इनके कब्जे से सोने की 4 अंगूठी, 4 चूड़ियां, कान की 2 बाली, तमंचा, कारतूस, 2 चाकू, बाइक व स्कूटी बरामद हुई।
डीआईजी के अनुसार, अभियुक्त विपिन ने बताया कि वह अपने चचेरे भाई गुड्डू से मिलने अक्सर देहरादून जाता था। गुड्डू संदीप अग्रवाल के सेंट ऐनी स्कूल में काम करता है। उसने गुड्डू से बातों-बातों में संदीप के घर की सारी जानकारी ले ली थी। संदीप नामी स्कूल चलाते हैं और वर्तमान में एडमिशन सीजन होने के कारण बदमाशों को घर से 40 से 50 लाख रुपये मिलने की उम्मीद थी।
बदमाशों ने 3 अप्रैल और 10 अप्रैल को संदीप के घर की रेकी की थी। दो बार वे डकैती डालने पहुंचे भी थे, लेकिन मौका नहीं मिला था। आखिरकार 11 अप्रैल को बदमाश डाका डालने में कामयाब हो गए थे। घर से लूटे सोने के जेवरात बेचने वे मुजफ्फरनगर पहुंचे थे, लेकिन बिना बिल के किसी ने उन्हें नहीं खरीदा था।