चमोली के पहाड़ी शहर को भूमि धंसने के मद्देनजर ‘सिंकिंग जोन’ किया घोषित
उत्तराखंड के चमोली जिले के पहाड़ी शहर- जोशीमठ को कई घरों, सड़कों और अन्य इमारतों में दरारें पड़ने के साथ लगातार भूमि धंसने के मद्देनजर ‘सिंकिंग जोन’ घोषित किया गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर राज्य सरकार के अधिकारी इस मुद्दे पर नजर बनाए हुए हैं, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल की टीमें पहले ही जोशीमठ पहुंच चुकी हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की एक टीम भी आज उत्तराखंड पहुंचेगी।
सचिव, सीमा प्रबंधन, और एनडीएमए के सभी चार सदस्य 9 जनवरी को उत्तराखंड का दौरा करेंगे। वे तकनीकी टीमों (एनडीएमए, एनआईडीएम, एनडीआरएफ, जीएसआई, एनआईएच, वाडिया संस्थान, आईआईटी रुड़की) के निष्कर्षों का विस्तृत मूल्यांकन करेंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय ने रविवार को जारी एक बयान में कहा, राज्य सरकार को स्थिति से निपटने के लिए तत्काल, लघु-मध्यम-दीर्घकालिक कार्रवाई करने की सलाह देते हैं। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री के सचिव डॉ. पी के मिश्रा ने रविवार को जोशीमठ की स्थिति पर उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की थी, जिसमें बताया था कि एनडीआरएफ की एक टीम और एसडीआरएफ की चार टीमें जोशीमठ पहुंच चुकी हैं।
जिला प्रशासन ने जोशीमठ के निवासियों से राहत केंद्रों में जाने का आग्रह किया उत्तराखंड के सीएम धामी ने जोशीमठ भूस्खलन और धंसाव से प्रभावित लोगों को तत्काल राहत और बचाव सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। तदनुसार, चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्र में घर-घर जाकर नुकसान का आकलन किया। उन्होंने राहत केंद्रों में जाने के लिए घरों में रहने वाले निवासियों से भी आग्रह किया है। एएनआई के मुताबिक, अब तक, जोशीमठ में कुल 68 परिवारों को भू-धंसाव क्षेत्र से ‘अस्थायी’ रूप से स्थानांतरित किया गया है।
प्रशासन ने जीवन और संपत्ति के जोखिम का आकलन करने के बाद, अत्यधिक भूस्खलन और असुरक्षित माने जाने वाले क्षेत्रों से स्थानीय लोगों को तत्काल खाली करने का आदेश दिया है। एक अधिकारी ने कहा, भूस्खलन से प्रभावित स्थानों की पहचान करने का कार्य जारी है और कमजोर परिवारों को अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है।