कल साल की आखिरी अमावस्या, इस दिन व्रत करने से पितर का मिलता आशीर्वाद

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हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है और पौष माह में आने वाली अमावस्या को पौष अमावस्या कहा जाता है। इस दौरान पितरों का तर्पण करने की भी पंरपरा है और इसलिए इसे ‘छोटा श्राद्ध पक्ष’ भी कहा जाता है। मान्यता है कि यदि पौष अमावस्या के दिन विधि-विधान के साथ पितरों का तर्पण किया जाए तो वह प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद देते हैं। इसके अलावा इस दिन स्नान-दान का भी विशेष महत्व है।साल 2022 की आखिरी अमावस्या यानि पौष अमावस्या इस बार 23 दिसंबर 2022, शुक्रवार के दिन पड़ रही है. आइए जानते हैं पूजा की विधि और इस दिन का महत्व।

पौष अमावस्या का महत्व हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को पौष अमावस्या कहा जाता है. इस दिन पितरों का श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। कहते हैं कि पौष अमावस्या के दिन अगर श्राद्ध व पिंडदान किया जाए तो पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। पौष अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करने के बाद सूर्यदेव जल अर्पित करें और व्रत भी करें। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और पितरों को शांति मिलती है।

पौष अमावस्या पूजन विधि पौष अमावस्या के दिन सुबह गंगा या किसी अन्य ​पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा है। यदि ऐसा संभव न हो तो पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाकर घर पर ही स्नान करें. इसके बाद उगते सूर्य को जल अर्पित करें और उनकी पूजा करें। फिर विधि-विधान के साथ पितरों का श्राद्ध करें। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती ।है. अमावस्या के दिन पीपल में जल अर्पित करना भी शुभ माना जाता है. इस दिन सुबह और शाम दोनों समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना भी फलदायी होता है।

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