राजभवन भेजा महिला क्षैतिज आरक्षण विधेयक, मंजूरी मिलते ही बनेगा कानूनी अधिकार

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उत्तराखंड में महिला अभ्यर्थियों को राज्य सरकार की नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का कानूनी अधिकार बहुत जल्द मिलने वाला है। विधानसभा में पारित होने के बाद विधायी विभाग ने उत्तराखंड लोक सेवा (महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण) विधेयक सोमवार को राजभवन भेज दिया। राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही यह कानून बन जाएगा।

उच्च न्यायालय में शासनादेशों पर रोक के बाद से महिला क्षैतिज आरक्षण को लेकर संशय बन गया था। मुख्यमंत्री धामी के निर्देश के बाद शासन ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी। कोर्ट से स्थगन आदेश लेने के साथ ही अधिनियम बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया। 30 नवंबर को सरकार ने विधानसभा में इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कराया। अपर सचिव (विधायी) महेश कौशिबा ने विधेयकों को राजभवन भेज दिए जाने की पुष्टि की है।

उनके मुताबिक, प्रदेश में जबरन या प्रलोभन से धर्मांतरण रोकने के लिए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक पारित किया गया था। यह विधेयक भी राजभवन भेज दिया गया है। इसके अलावा उत्तराखंड विनियोग (2022-23 का अनुपूरक) विधेयक समेत 11 अन्य संशोधित विधेयक भी राजभवन भेज दिए गए हैं।

बंगाल, आगरा और आसाम सिविल न्यायालय (उत्तराखंड संशोधन और अनुपूरक अनुबंध) विधेयक।
उत्तराखंड दुकान और स्थापन (रोजगार विनियमन और सेवा शर्त) संशोधन विधेयक।
पेट्रोलियम एवं ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक।
भारतीय स्टांप उत्तराखंड संशोधन विधेयक।
उत्तराखंड माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक।
उत्तराखंड कूड़ा फेंकना एवं थूकना प्रतिषेध संशोधन विधेयक।
उत्तराखंड जिला योजना समिति संशोधन विधेयक।
पंचायती राज संशोधन विधेयक।
हरिद्वार विश्वविद्यालय विधेयक।
उत्तराखंड नगर एवं ग्राम नियोजन व विकास संशोधन विधेयक।
उत्तराखंड विशेष क्षेत्र (पर्यटन का नियोजित विकास और उन्नयन) संशोधन विधेयक।

विधानसभा से पारित सभी विधेयकों का परीक्षण करने के बाद उन्हें राजभवन भेज दिया गया है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद ये सभी अधिनियम बन जाएंगे।
– महेश कौशिबा, अपर सचिव, विधायी

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