सरकार के प्रयासों से प्रदेश में 22 हजार गोवंश को मिला आश्रय : वीरेंद्र कंवर
ऊना: देश की अर्थव्यवस्था में पशुपालन का महत्वपूर्ण योगदान है तथा ग्रामीण क्षेत्रों की बड़ी आबादी के लिए पशुपालन आय एवं स्वरोजगार का प्रमुख साधन भी है। इसलिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने पशुधन में वैज्ञानिक नस्ल सुधार, पशुपालन को बढ़ावा देने तथा इसे स्वरोजगार के रूप में अपनाने के लिए अनेक महत्वपूर्ण योजनाएं क्रियान्वित की है। यह जानकारी ग्रामीण विकास व पंचायती राज, कृषि, पशुपालन तथा मत्स्य विभाग मंत्री वीरेंद्र कंवर ने समूर कलां में पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में उपस्थित पैरा वैटस को संबोधित करते हुए दी।
वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा अपने वर्तमान कार्यकाल में 123 नए पशु चिकित्सा संस्थान खोले गए तथा वर्तमान में 3548 चिकित्सा संस्थानों के माध्यम से पशुओं की नस्ल सुधार कर उन्हें चिकित्सा सुविधा प्रदान की जा रही है। हाल ही में 60 पशु चिकित्सा अधिकारियों के पद बैचवाइज़ भरने की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है तथा शीघ्र ही उन्हें नियुक्ति प्रदान की जाएगी।
वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा जिला ऊना के थाना खास में 9 करोड़ 95 लाख रुपए की लागत से गोकुल ग्राम, डंगेहड़ा 4 करोड 06 लाख रुपए की लागत से मुर्राह प्रजनन फार्म, बसाल में 44 करोड़ 12 लाख रुपए की लागत से डेयरी के क्षेत्र में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तथा जिला सिरमौर के बागथन में 4 करोड 64 लाख रुपए की राशि से पहाड़ी गाय फ़ार्म स्थापित किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि बेसहारा गोवंश को आश्रय देने के उद्देश्य से प्रदेश में गठित गौ सेवा आयोग तथा पशुपालन विभाग के प्रयासों से पौने 5 वर्षों के दौरान 22000 बेसहारा गोवंश को आश्रय प्रदान किया जा चुका है। इसके अलावा प्रदेश में पांच और बड़े स्तर की नई गौशाला बनाई जाएंगी जिससे और अतिरिक्त गौवंश को आश्रय प्रदान करने में मदद मिलेगी। पशुपालन मंत्री ने बैटनरी फार्मेसिस्ट पदनाम में परिवर्तन करने सहित पैरावेट बैटनरी फार्मेसिसटों की सभी मांगों को भविष्य में चरणबद्ध तरीके से पूरा करने का आश्वासन दिया।