प्रमाणिक ज्ञान से ही सामाजिक समरसता व राष्ट्र उत्थान की बुनियाद मजबूत : प्रेम प्रकाश
प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग तथा राजकीय पाण्डुलिपि पुस्तकालय संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दुर्लभ पांडुलिपियों की चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन इविवि में किया गया। मुख्य अतिथि अपर निदेशक, उप्र पुलिस, प्रयागराज मण्डल प्रेम प्रकाश ने कहा कि हमारा इतिहास बोध तथ्यों और अनुसंधान से उत्पन्न प्रमाणिक ज्ञान पर आधारित होना चाहिए, तभी सामाजिक समरसता और राष्ट्र उत्थान की बुनियाद मजबूत होगी।
इस अवसर पर प्रस्तुत पांडुलिपियों में संत कबीर से सम्बद्ध कई मूल ग्रंथों की प्रतिलिपियों के साथ-साथ ऋग्वेद, भगवतगीता, वाजसनेही संहिता, लीलावती, खुलासत-उत-तवारीख, राजतरंगिणी जैसी कई संस्कृत, हिन्दी, अरबी, फारसी और ऊर्दू की दुर्लभ पांडुलिपियों का प्रदर्शन किया गया। पीआरओ डॉ जया कपूर ने बताया कि यह प्रदर्शनी 25 से 28 अगस्त तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के तिलक भवन में आयोजित रहेगी। विशिष्ट अतिथि मुख्य कुलानुशासक एवं विभागाध्यक्ष, प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग प्रो. हर्ष कुमार रहे।
मुख्य वक्ता विभागाध्यक्ष मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के प्रो. आलोक प्रसाद ने बताया कि भारत में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ज्ञान संचार केवल मौखिक रूप में ही नहीं हुआ है बल्कि लिखित दस्तावेजों से भी मजबूत परम्परा रही है। भारत में दुर्लभ पांडुलिपियों के लिए राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की शुरूआत 2003 में शुरू हुई और अब तक 50 लाख से अधिक पांडुलिपियों की पहचान और डिजिटाइजेशन हुआ है परन्तु यूनेस्को ने मात्र 9 पांडुलिपियों को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है। अतः हमें और मजबूती से पैरवी करनी चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. पंकज कुमार विभागाध्यक्ष, राजनिति विज्ञान विभाग ने कहा कि कबीर के काव्य संग्रह “बीजक” के दोहे ’जाके पांव न फटी बेवाई, सो का जानें पीर पराई’ और करूणावान वही है जो दूसरों की पीड़ा समझता है। और इससे बेहतर परिभाषा करुणा की कहीं नहीं मिलती।
धन्यवाद ज्ञापन देते हुये प्रो. ललित जोशी ने कहा कि ऐतिहासिक दस्तावेज केवल कागज का टुकड़ा नहीं समय का आख्यान होते हैं। मंच का संचालन डॉ भावेश द्विवेदी ने किया। इस मौके पर डॉ पीएस हरीश, प्रो. भारतीदास, प्रो. सालेहा रसीद, डॉ युसुफा नफीस, डॉ अर्चना सिह, डॉ रफाक, डॉ आनंद प्रताप चंद, डॉ अनिल, डॉ योगेश, डॉ अंशू, अनिल सिंह, अनिरूद्द, रेनू जायसवाल समेत 200 से अधिक शिक्षक, छात्र-छात्राएं तथा कर्मचारी उपस्थिति रहे।