हिमाचल की हिंदी कहानी को राष्ट्रीय परिदृश्य में लाने वाले सशक्त कथाकार सुंदर लोहिया

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मंडी: आजादी के बाद हिमाचल की हिंदी कहानी को राष्ट्रीय परिदृश्य में लाने वाले सशक्त कथाकार सुंदर लोहिया का 90वां जन्म दिन साहित्यिक माहौल में मनाया गया। इस अवसर पर उनके कविता संग्रह एक अस्वीकार व अन्य कविताएं का विमोचन किया गया। हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा आयोजित एक गरिमामय साहित्य सम्मान समारोह एवं साहित्यिक गोष्ठी के अवसर पर सचिव भाषा संस्कृति हिमाचल प्रदेश सरकार राकेश कंवर बतौर मुख्यअतिथि शिरकत की। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्रीनिवास जोशी ने की। उनके साथ मंच सीपी पंवर ने साझा किया।

मुख्य अतिथि राकेश कंवर ने उन्हें बधाई देते हुए उनके साथ मंडी और अन्य स्थानों में साक्षरता अभियान में लंबे अरसे तक साथ साथ कार्य करते रहने की कई यादें साझा की और उनकी प्रतिबद्धता का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में देश भर में अव्वल रहा है तो इसके पीछे साक्षरता अभियान के योगदान रहा है। जबकि साक्षरता अभियान की कमान प्रो. सुंदर लोहिया जैसे बुद्धिजीवी आंदोलनकारी के हाथों में थी।

उन्होंने कहा कि सुंदर लोहिया के साहित्यिक किरदार से वे इतने वाकिफ नहीं रहे। लेकिन उनके बौद्धिक पक्ष से वे सवालों के माध्यम से जूझते रहे हैं। वहीं पर साहित्यकार मुरारी शर्मा ने कहा कि लोहिया …एक बहुआयामी शख्सियत का नाम है। कथाकर, उपन्यासकार ,कवि और स्वतंत्र टिप्पणीकार के अलावा आप जुझारू आंदोलनकारी और प्रखर चिंतक के रूप जाने जाते हैं। आजादी के बाद हिमाचल की हिंदी कहानी की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान करवाने वाले कथाकार सुंदर लोहिया हैं। वे सही मायने में लोकधर्मी परंपरा के संवाहक रचनाकार हैं।

वहीं मंच के अध्यक्ष एस आर हरनोट ने सुंदर लोहिया को उनकी कविता पुस्तक और जन्मदिन पर बधाई देते हुए कहा कि हिमालय मंच के लिए यह सुखद संयोग ही है कि हम उनका 90 वां जन्मदिन मना रहे हैं। लोहिया जी का पहला उपन्यास धार की धूप हिमप्रस्थ में धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुआ और कहानी संग्रह कोलतार वर्ष 1992 में छपा था। आज लोकार्पित कविता संग्रह तीस वर्षों के अंतराल के बाद आया है जो हिमाचल के साहित्य के लिए गौरव के क्षण हैं।

कवि अजेय ने कहा कि अगर आपको जागते रहना है तो सुंदर लोहिया की कविताओं को पढ़ें। इनकी कविताओं में असमान्य व अराजक बिंब हैं इनकी कविताओं की मूल संवेदना हाशिए के आदमी के पक्ष में है। सुंदर लोहिया की रचनाशीलता और कविताओं पर श्रीनिवास जोशी, गंगा राम राजी ने भी अपने विचार रखे। लोहिया जी की बेटी नलिनी ने इस आयोजन हेतु हिमालय मंच का आभार व्यक्त किया।

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