गुरुकुल में प्रदर्शनी का आयोजन
हरिद्वार: देश को सांस्कृतिक दृष्टि से सबल बनाने में महापुरुषों और विद्वानों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इतिहास की घटनाएं ऐतिहासिक दस्तावेज और ग्रन्थों से सशक्त बनती है। गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग तथा सत्यम कला एवं संस्कृति संग्रहालय, सागर (मप्र) के संयुक्त तत्वावधान में सत्यकेतु विद्यालंकार भवन में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।
प्रदर्शनी का शुभारम्भ करते हुये विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. रूपकिशोर शास्त्री ने कहा कि इतिहास से जुडे़ दस्तावेज हमारी पुरातन धरोहर हैं। जिनको भुलाया नहीं जा सकता। भारतीय संस्कृति सम्पूर्ण विश्व का पोषण करने वाली है। वसुधैव कुटुम्बकम का भाव हमारी शक्ति का परिचायक है।
विभागाध्यक्ष प्रो. राकेश शर्मा ने कहा कि शैक्षिक दृष्टि से प्रदर्शनियां इतिहास को करीब से जानने का अवसर प्रदान करती हैं। संयोजक प्रो. प्रभात कुमार ने कहा कि इतिहास, वर्तमान के लिए समाधान की युक्ति है। प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण भगवान कृष्ण की 70 वर्ष पुरानी हस्तकलाओं के दुर्लभ चित्र, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की स्मृतियां देश का सन् 1950 में जय हिन्द नाम से जारी पहला डाक टिकट, सन् 1945 के समाचार पत्र जिनमें सन् 1945 के अखबार वीर अर्जुन में गुरुकुल के प्रो. वेदव्रत वेदालंकार का सम्पादकीय लेख द्वितीय विश्वयुद्ध पर भारत का आर्थिक, सन् 1952 के समाचार पत्र धर्मयुग के अंक में प्राचीन विश्व के चौदह अनुसंधान तथा प्राचीन भारत में विमानों का अविष्कार जैसे लेख हमारी वैज्ञानिक सोच एवं आत्म-निर्भरता से सम्पन्नता को साकार बनाने का सशक्त माध्यम है। सत्यम कला एवं संस्कृति संग्रहालय के संस्थापक दामोदर अग्निहोत्री ने बताया कि मुम्बई, ग्वालियर, वृंदावन आदि स्थानों के शिक्षण संस्थानों मे भी यह प्रदर्शनी लगाई जा चुकी हैं। जिससे नवीन शोधकर्त्ताओं को शोध की बारीकियों को जानने का अवसर मिलता है।
इस अवसर पर वित्ताधिकारी प्रो. वीके सिंह, प्रो. औतार लाल मीणा, प्रो. देवेन्द्र कुमार गुप्ता, प्रो. प्रभात कुमार, डॉ. दीनदयाल वेदालंकार, डॉ. हिमांशु पंडित, सतेन्द्र कुमार, डॉ. दीपक घोष, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. अजयम मलिक, डॉ. शिवकुमार चौहान, डॉ. दलीप कुमार कुशवाहा आदि उपस्थित रहे। संचालन डॉ. हिमांशु पडित ने किया।