दून की तर्ज पर प्रदेशभर में बनेंगे शहीद सम्मान द्वार : गणेश जोशी

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देहरादून: सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि देहरादून की तर्ज पर प्रदेशभर में शहीद सम्मान द्वार बनाए जाएंगे। राज्य के सैनिक विश्राम गृह की दशा को सुधरने के साथ ही टनकपुर में मॉडल सैनिक विश्राम गृह का निर्माण किया जाएगा।

शनिवार को सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने विभागीय अधिकारियों संग बैठक में यह जानकारी दी। बैठक में देहरादून में बनने जा रहे सैन्यधाम के निर्माण की प्रगति, सैन्य विश्राम गृहों के जीर्णोद्धार और सैनिक आश्रितों एवं पूर्व सैनिकों को दिए जाने वाले प्रशिक्षण सहयोग की रूपरेखा व शासन स्तर पर लम्बित प्रकरणों पर चर्चा की गई।

बैठक में सैनिक कल्याण निदेशक कर्नल बीएस रावत ने सैन्यधाम निर्माण गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कार्यदायी संस्था, पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम को सैन्यधाम तक पहुंच मार्ग, चाहरदीवारी, आंतरिक तथा वाह्य निर्माण कार्यों के लिए 15.75 करोड़ की धनराशि जारी की जा चुकी है।

सैनिक कल्याण मंत्री जोशी ने कहा कि सैन्यधाम को इस प्रकार से बनाया जा रहा है कि जैसे चारधाम देखने के लिए पूरे देश से लोग आते हैं, उसी प्रकार सैन्यधाम को देखने के लिए भी लोग आएं। इस पुनीत कार्य हेतु विभिन्न संस्थाएं सहयोग के लिए आगे आ रही हैं। इसी कड़ी में सैन्यधाम के मुख्यद्वार, जो कि पहले सीडीएस बिपिन रावत के नाम पर बनाया जाना है, के निर्माण में सहयोग करने के लिए हंस फाउण्डेशन सामने आया है।

मंत्री ने कहा कि हमारे सैनिक जब छुट्टी पर आते हैं तो अपने परिवार के साथ सैनिक विश्राम गृहों में रुकने आते हैं, परंतु इन विश्राम गृहों की स्थिति इतनी दयनीय है कि कोई यहां रुकना नहीं चाहता। इसलिए राज्य के समस्त 36 विश्राम गृहों के जीर्णोद्धार अथवा जहां नए भवन बनाए जाने हैं, वहां नए भवन का आंकलन तैयार किया जाए।

उन्होंने कहा कि टनकपुर में सिर्फ एक कमरे में सैनिक विश्राम गृह संचालित हो रहा है इसलिए मैंने निर्देश दिया है कि टनकपुर में एक भव्य सैनिक विश्राम गृह बनाने के लिए तत्काल प्रस्ताव बना कर प्रस्तुत किया जाए। प्रयास किया जा रहा है कि उपनल निधि का उपयोग कर पूर्व सैनिकों के होन हार बच्चों को भागेदारी के आधार पर प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सहयोग प्रदान किया जाए। इसी प्रकार पूर्व सैनिकों को स्वरोजगार के लिए कृषि, उद्यान विभाग तथा ऑर्गेनिक बोर्ड की योजनाओं का भी लाभ दिलाते हुए उद्यमिता एवं स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जाए। सैनिक भर्ती के लिए पर्वतीय नगरों, कुमाऊं में अल्मोड़ा तथा गढ़वाल में श्रीनगर में प्रशिक्षण केन्द्र विकसित किए जाएं।

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