जल एवं ऊर्जा सुरक्षा के लिए हाइड्रो पावर और बांधों के विकास पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ऋषिकेश में
ऋषिकेश: भारत में 5334 बड़े बांध बनाए गए हैं जिनमें भाखड़ा, हीराकुंड, टिहरी और सरदार सरोवर जैसे बांध शामिल हैं। वर्तमान में लगभग 411 बांध निर्माणाधीन हैं। भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में बड़े बांधों की संख्या के मामले में तीसरे स्थान पर है और सिंचाई के मामले में दूसरे स्थान पर है। भारत की जल विद्युत क्षमता कुल बिजली उत्पादन क्षमता का 13.10ः है। यह विश्व में जल विद्युत का 7 वां सबसे बड़ा उत्पादक देश है। भारत में बांध उद्योग ने देश की जल एवं विद्युत की मांग पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, परन्तु अभी भी भारत में जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, उपयोग के पैटर्न में बदलाव और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव के कारण अतिरिक्त जल भंडारण की आवश्यकता का दबाव बना हुआ है।
किसी राष्ट्र के विकास के लिए जल संसाधन और ऊर्जा क्षेत्र दो प्रमुख क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में विश्व भर में अर्जित किए गए अनुभवों और विशेषज्ञता को समुचित रूप से साझा करते हुए इनका प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए जिससे कि पूरे देश में इनका उपयोग कर सभी इनका लाभ उठा सकें। इस दायित्व का निर्वाह करने में कमेटी ऑफ द इंटरनेशनल कमीशन ऑन लार्ज डैम, इंडिया (इनकोल्ड) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। भारत जल, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो कि पर्याप्त भंडारण से ही संभव है। बांध बड़े आकार के भंडारों का निर्माण करने में मदद करते हैं। जलवायु परिवर्तन से जुड़े जोखिमों के प्रभाव का सामना करने के लिए भारत को पर्याप्त भंडारण क्षमताओं का निर्माण करना होगा। सतत विकास के लिए भारत के एजेंडा में जल अवसंरचनाओं और बांधों के विकास पर बल दिया जाना चाहिए। भारत नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए हमेशा तत्पर है क्योंकि यह जल क्षेत्र में निवेश कर सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं को अपनाकर लाभ अर्जित कर रहा है। भारत में नदियों को आपस में जोड़ने के विशाल कार्यक्रम की शुरूआत हो रही है जिससे भंडारण बांधों और इनसे जुड़ी संरचनाओं से लंबी दूरी के जल अंतरण में मदद मिलेगी ।