गढ़वाली साहित्य के पुरोधा पुष्कर कंडारी का निधन
रुद्रप्रयाग: पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक और गढ़वाली साहित्य के पुरोधा पुष्कर सिंह कंडारी का 92 साल की उम्र में निधन हो गया।
उनके निधन से जिले न केवल एक साहित्यकार बल्कि, एक कर्मठ समाजसेवी खो दिया। रुद्रप्रयाग जिला गठन में उनकी भूमिका को सदा याद रखा जाएगा।
वे बीते एक साल से अपने बडे बेटे रविशंकर कंडारी के साथ दिल्ली में रह रहे थे और कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे।
वे अपने पीछे पत्नी, दो बेटे और दो बेटियों का भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। रुद्रप्रयाग जिले के जगोठ कमसाल निवासी पुष्कर सिंह कंडारी ने तीन विषयों से एमए करने के बाद 28 वर्षों तक विभिन्न विद्यालयों में प्रधानाचार्य पद पर कार्य किया।उसके बाद पौड़ी और टिहरी में जिला विद्यालय निरीक्षक के पद पर रहे।
सेवानिवृति के बाद वे अगस्त्यमुनि में रहकर साहित्य रचना एवं जनसेवा में लग गए. विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़कर समाज सेवा में भी नाम कमाया।
दिवंगत पुष्कर सिंह कंडारी ने 14 हजार से ज्यादा गढ़वाली मुहावरों और कहावतों का संग्रह कर उन्होंने गढ़वाली साहित्य में बड़ा मुकाम हासिल किया।
इसके साथ ही उत्तराखंड की जनश्रुतियों पर लिखी उनकी किताब ने भी प्रसिद्धि पाई। उनके निधन का समाचार सुनते ही पूरे जिले में शोक की लहर है. विभिन्न सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने शोक सभा का आयोजन कर मृतक आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।