कांगड़ा में लंपी रोग से 1656 गोवंश की मौत, 21 हजार बिमारी की चपेट में

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धर्मशाला: लंपी स्किन वायरस हिमाचल प्रदेश में भी कहर बरपा रहा है। देश में 29 जून को पहला मामला सामने आने के बाद हिमाचल के सोलन, सिरमौर के साथ अगस्त में कांगड़ा में भी इस वायरस के बड़ी संख्या में मामले सामने आए। जिला कांगड़ा में ही अब तक करीब 21 हजार गोवंश को संक्रमित पाया गया है।

जिसमें 1656 गोवंश की दुखद मृत्यु हुई है। इसमें थोड़ी सी राहत भरी बात यह है कि 15 हजार गोवंश को रिकवर किया गया है, उन्हें सुरक्षित बचाया गया है। इस तरह से 50 फीसदी बचाव प्रतिशतता है,। मृत्यु दर की अगर बात करें तो पांच फीसदी पशुपालन विभाग कांगड़ा की ओर से बताया जा रहा है। बड़ी बात यह है कि अब तक लंपी वायरस को महामारी घोषित नहीं किया गया है।

प्रदेश सरकार की ओर से भी प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन इसे महामारी घोषित नहीं किया गया है। जिसके कारण भी इसे पूरी तरह से निपटने में बड़ी परेशानियां सामने आ रही है। इसकी सबसे बड़ी समस्या यह सामने आई है कि लंपी वायरस की वैक्सीन समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही है।

उधर उप-निदेशक पशु पालन विभाग कांगड़ा डॉ संजीव धीमान ने बताया कि लंपी वायरस के टीकाकरण का अभियान जिला कांगड़ा में चलाया गया है। इसके तहत 28000 पशु को टीकाकरण किया गया है, लेकिन इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि टीकाकरण उन्हीं पशुओं का किया जा रहा है जिन्हें लंपी वायरस नहीं है, जो पूरी तरह से सुरक्षित है, उन्हें सुरक्षित रखने के लिए टीकाकरण किया जा रहा है। जबकि वायरस की चपेट में आने वाले गोवंश को दवाइयां देकर ठीक करने के प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं प्रदेश सरकार की ओर से 20 हजार प्रति गाय की मृत्यु पर मुआवजा दिए जाने की भी बात कही गई है।

इसके अलावा गौशालाओं में भी अब वायरस के मामलम आने शुरू हो गए हैं, और ऐसे में उन्हें आइसोलेट किए जाने की बात पशुपालन विभाग की ओर से की जा रही है। जबकि बेसहारा सड़कों में घूम रहे गोवंश में भी ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, तो ऐसे में टीकाकरण भी किया जा रहा है, जबकि फिलहाल वायरस को देखते हुए उनको गौशाला मैं किसी भी बेसहारा पशु को ले जाने में पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। ऐसे में भयानक होता हुआ लंपी वायरस गोवंश के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है। लेकिन इसे महामारी घोषित न करना और टीकाकरण उपलब्ध ना होना एक बड़ी परेशानी पशुपालकों और किसानों के लिए बना हुआ है।

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