आनी विस क्षेत्र के परमवीर चक्र विजेता शहीद डोलाराम को दी श्रद्धांजलि
रामपुर बुशहर/कुल्लू: आनी विस क्षेत्र के कारगिल हीरो शहीद डोलाराम के 23वें शहीदी दिवस नित्थर के वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम में पृथी मिलिट्री स्टेशन अवेरी पट्टी के कर्नल एसके दास ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की और अपनी बटालियन सहित शहीद डोलाराम के सम्मान में सलामी दी। इस दौरान स्कूल के बच्चों ने देशभक्ति गीत गाकर उनकी शहादत को नमन किया। कर्नल एसके दास ने शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले, वतन पर मर मिटने वालों का बस यही आखिरी निशान होगा से अपने संबोधन की शुरूआत की।
उन्होंने कहा कि नित्थर क्षेत्र के शकरोली गांव के अमर शहीद डोला राम ने अपनी जान हथेली पर रखकर न सिर्फ दुश्मनों को नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया बल्कि तिरंगे को भी दुश्मनों के सामने झुकने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि आज समूचा क्षेत्र ही नहीं बल्कि प्रदेश और देश भी इस शहीद की शहादत को सलाम करता है।
आने वाले कई पीढ़ियां उनकी इस कुर्बानी को याद रखेंगी। कर्नल ने बताया कि 3 जुलाई, 1999 का वो अविस्मरणीय दिन था, जब काबिलियत को देखते हुए ऑपरेशन विजय में शहीद डोला राम को अहम भूमिका मिली। शहीद डोलाराम एक बेहतर बॉक्सर के साथ-साथ अच्छे पर्वतारोही भी थे। तीन सैनिकों को भी उनके साथ सियाचिन की चोटी पर दुश्मनों की टोह लेने के लिए भेजा गया।
पाकिस्तानियों की ओर से घुसपैठ जारी थी और कारगिल पर कब्जा करने की सोची समझी साजिश थी। उन्हें सियाचन की चोटी पर पहुंचकर दुश्मनों की तमाम जानकारी अपनी सेना की टुकड़ी तक पहुंचानी थी। इसके बाद पूरी सेना की टुकड़ी ने चोटी पर फतह हासिल करनी थी। डोलाराम अपने साथियों के साथ चोटी पर पहुंचे। उन्हें नजदीक बने एक बंकर में पाकिस्तानी घुसपैठियों की बड़ी हलचल दिखी। उन्होंने बिना समय गंवाए बंकर पर हमला बोल दिया।
इस दौरान बंकर में उन्होंने 17 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया। इस बीच उनकी छाती पर दुश्मनों ने पांच गोलियां दागी और देश का लाल कुर्बान हो गया लेकिन आखिरी सांस तक उन्होंने जो बहादुरी दिखाई आज वो इतिहास में दर्ज है। डोला राम आपरेशन ’विजय’ में सियाचन की विजय गाथा लिख गए। इस अवसर पर नायब तहसीलदार टेक चंद, शहीद डोलाराम की धर्म पत्नी प्रेमा देवी सहित नित्थर क्षेत्र के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।